इश्क की चाहतें Published on July 31 2015 by Sharhade Intazar अकेली शाम मिली है, शाम के गुजर जाने से पहले, शाम से गुजर जाना चाहता हूँ, चंद लम्हों में तुझमे होकर, तुझको ही पाना चाहता हूँ है तेरे दीदार की हसरत मुझे नज़रों को बताना चाहता हूँ, तेरे आने की उम्मीद को लेकर, इंतज़ार सजाना चाहता हूँ